Saturday, April 28, 2018

तीन दिवसीय बा-बापू 150वीं जयंती तैयारी बैठक का दूसरा दिन

वर्धा 27 अप्रैल. पीसफुल सोसाइटी, गोवा के किशन के द्वारा मुरारी शरण द्वारा रचित ‘नदियाँ धीरे बहो’ गीत गायन से दूसरे दिन के सत्र का प्रारंभ हुआ. सत्र के प्रारंभ में डॉ. मुकेश कुमार ने 26 अप्रैल की पूरी चर्चा का संक्षिप्त सार पेश किया. उसके उपरांत कलानंद मणि ने गाँधी के रचनात्मक कार्यक्रमों के आलोक में सात मुद्दों पर समूह चर्चा हेतु सात समूह प्रस्तावित किया.
सामाजिक
आर्थिक
शैक्षणिक
आरोग्य
एकादश व्रत
गाँधी के विचारों-मूल्यों-प्रयोगों पर शोध
गाँधी के विरुद्ध होने वाली बातों का सार्थक उत्तर स्वरूप गतिविधियाँ
कौमी एकता,
अस्पृश्यता निवारण,
महिलाएं,
आदिवासी
आर्थिक समानता,
खादी,
ग्रामोद्योग,
किसान,
मजदूर

बुनियादी तालीम,
राष्ट्रभाषा,
मातृभाषा,
प्रांतीय भाषा,
वयस्क शिक्षा

आरोग्य की शिक्षा,
नशाबंदी,
ग्रामीण स्वच्छता,
कुष्ट रोग निवारण,
एड्स निवारण 
सत्य,
अहिंसा,
अस्तेय,
ब्रह्मचर्य,
अपरिग्रह,
स्वदेशी,
अभय,
सर्वधर्म समभाव, अस्पृश्यता निवारण, शरीर श्रम, अस्वाद



·      ग्रामीण उद्योग को बढ़ावा मिलना चाहिए. आज सारी चीजें बड़े उद्योगों में पैदा हो रही हैं. जबकि आम लोगों की ज़रूरतों के ज्यादातर सामान गाँव में बनाया जा सकता है.·      खादी एक वस्त्र ही नहीं विचार भी है. यह विकेन्द्रित उद्योग में बनता है. हर गाँव में खादी बनने का कार्य हो, इसका डिजाईन तैयार हो. सरकारी संस्थानों में इसके उपयोग को बढ़ावा मिले. खादी के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था हो.आर्थिक मुद्दे पर समूह चर्चा की रिपोर्ट :
·      आज बीज, खाद व कीटनाशक आदि पर बाज़ार का नियंत्रण हो चुका है. किसानों के पास से यह सब छिन गया है. किसानों को अनाज उत्पादन का वाजिब मूल्य नहीं मिल पा रहा है. किसानों के हितों को संरक्षण मिलना चाहिए.
·      मजदूर का शोषण न हो.
·      आर्थिक असमानता दूर करने के लिए यह आवश्यक है कि संपत्ति रखने की सीमा निर्धारित होनी चाहिए.
               
सामाजिक मुद्दे पर समूह चर्चा की रिपोर्ट :
·      देश विभिन्न जाति, धर्म, सम्प्रदाय में सदियों से बंटा रहा है. आज साम्प्रदायिकता बढ़ती जा रही है इसके राजनीतिक कारण हैं.
·      धर्म, जाति के चुनावी इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए.
·      भारतीय संविधान में दी गयी धार्मिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग पर रोक लगे.
·      भारतीय संविधान की पुस्तक को घर-घर तक पहुँचाना होगा तभी अधिकारों और कर्त्तव्यों के प्रति जागरूकता आएगी.
·      अस्पृश्यता कोई वैज्ञानिक-तार्किक आधार नहीं है, यह एक किस्म की अंधश्रद्धा है. यह सामाजिक असमानता को बढ़ावा देती है. इसको खत्म करने के लिए कानून बने और इसे सख्ती से लागू किया जाना चाहिए.
·      अंतरजातीय विवाह आदि को बढ़ावा देना चाहिए.
·      आदिवासियों की भाषा को संरक्षण दिया जाये. उनके बच्चों को स्कूली शिक्षा उन्हीं की मातृभाषा में दी जानी चाहिए. आदिवासियों का वनों पर अधिकार सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
·      महिलाओं के बराबरी के अधिकार को लागू किया जाए. घर के बाहर या अंदर दोनों ही जगहों पर महिलाओं को समान अधिकार मिलना चाहिए.

शिक्षा के मुद्दे पर समूह चर्चा की रिपोर्ट :

·      बुनियादी शिक्षा / तालीम को फिर से शुरू किया जाना चाहिए :
शिक्षक शिक्षण में गाँधी दर्शन का दृष्टिकोण और उसके आधार पर मोड्यूल के निर्माण में अध्यापकों की भूमिका होनी चाहिए. शिक्षकों का गाँधी साहित्य के साथ परिचय कराया जाना चाहिए. नई तालीम की अनुसंधानपरक प्रस्तुति. शैक्षिक वातावरण में असहमति के लिए जगह होनी चाहिए. गांधीजी की नई तालीम से असहमति नहीं है किंतु नई तालीम में समयानुरूप बदलाव भी जरुरी है. सेवापूर्व शिक्षकों को नई तालीम से परिचय कराया जाए. निशुल्क शिक्षा की गारंटी हो. मातृभाषा में शिक्षा मिले. उत्पादकता से छात्र जुड़ें. प्रत्येक विश्वविद्यालय ने केंद्र सरकार के निर्देशानुसार पाँच गावों को गोद लिया है. उन गावों में स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय एवं माध्यमिक विद्यालयों में विश्वविद्यालय को जोड़ा जाए.

·      वयस्क शिक्षा :
वयस्क शिक्षा के लिए पूर्व में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा योजना लायी गयी थी उस योजना को पूर्ववत लागू करने का प्रस्ताव है ताकि विश्वविद्यालय और महाविद्यालय अपने-अपने क्षेत्रों में वयस्क एवं सतत शिक्षा के लिए नीति आधारित कार्य कर सकें.

·      प्रांतीय भाषा :
प्रांतीय भाषाओं में उपलब्ध गांधीवादी साहित्य और देशज ज्ञान पर आधारित साहित्य का अनुवाद हिंदी में उपलब्ध कराया जाए और हिंदी, अंग्रेजी तथा अन्य प्रादेशिक भाषाओं के साहित्य का अंतर अनुवाद भी किया जाए. इसके लिए कार्यशालाओं, परिचर्चा, वाद-विवाद, निबंध एवं अन्य समावेशी कार्यक्रमों का आयोजन ग्रामीण एवं शहरी स्तरों पर किया जाए जिसमें राज्य एवं केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को जिम्मेदारी दी जाए. बा-बापू पर आधारित साहित्य का रेडियो, नाटक, डोक्युमेंट्री एवं फिल्म निर्माण एवं प्रदर्शन के लिए कार्यक्रम बनाया जाए. प्रांतीय भाषाओं में जो भी आदिवासी भाषाओं में प्राप्त ज्ञान के संरक्षण के लिए उन भाषाओं का जतन किया जाए.

राष्ट्रीय भाषा :

राष्ट्रीय भाषा के साथ प्रांतीय भाषा की टकराहट का समाधान किया जाना चाहिए. भाषाई अस्मिता और टकराहट को सांस्कृतिक गतिविधियों द्वारा समझने और समझाने की कार्य योजना बनाई जाए. समस्त राज्यों के बीच मानव संसाधन एवं विकास विभाग-एमएचआरडी ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम की योजना प्रारंभ की है, उसमें गाँधी विचार का अंतर्भाव किया जाए अथवा ‘बा-बापू’ यात्रा कश्मीर से कन्याकुमारी तक के विविध राज्यों के विद्यार्थियों के नेतृत्व में निकाली जाए.
·      कलानंद मणी ने सुझाव दिया कि 30 जनवरी 2019 से भारत के कोने-कोने से एक यात्रा निकले जो 2 अक्टूबर 2019 को एक स्थान पर एकत्रित हो.

इस समूह में डॉ.शाहिद अली, डॉ.ऋषभ कुमार मिश्र, डॉ.धर्मेन्द्र शंभरकर, डॉ.राजेश लेहकपुरे, डॉ.अनुपमा कुमारी, रेहाना तबस्सुम, रफीक अली एवं संदीप मधुकर सपकाले शामिल थे.

समूह चर्चा के बीच सुरेश शर्मा द्वारा निर्देशित डाक्यूमेंट्री प्रदर्शित की गई. इसमें महात्मा गांधी के दांडी मार्च से लेकर सेवाग्राम आश्रम के बारे में संक्षेप में दिखाया गया है.

स्वास्थ्य समूह चर्चा :

क्या हम पारंपरिक स्वास्थ्य पद्धति के प्रयोगों के बारे में अध्ययन कर सकते हैं?
एकादश व्रत समूह चर्चा की रिपोर्ट :

·      विश्व अहिंसा के 10 वर्षों के कार्यक्रमों का दस्तावेजीकरण हो, जो संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों द्वारा किया गया हो.
·      वैयक्तिक हिंसा से वैश्विक हिंसा के माहौल को अहिंसा के माध्यम से शमन हेतु संकल्पित समाज बनाया जाना चाहिए.
·      ऐसे प्रभावी माध्यमों का उपयोग करते हुए सत्य के प्रयोग के प्रति माहौल तैयार किया जाना चाहिए.
·      एकादश व्रत के लोक व्यापीकरण हेतु सक्षम समूहों को तैयार करते हुए समाज में शिक्षण प्रबोधन की श्रृंखला चलाई जाए.
·      एकादश व्रत को सार्वजानिक कार्यक्रमों के पूर्व प्रस्तुत किया जाए.
·      प्रार्थना का भाव हमारे व्यक्तिगत एवं सार्वजानिक जीवन में अंगीकृत एवं उसका प्रकटीकरण हो.
·      संविधान की अनुसूची-8 में वर्णित सभी भाषाओं में मंगल प्रभात का अनुवाद हो.
·      एकादश व्रत को केवल उपदेशात्मक न होकर व्यावहारिक रूप में क्रियान्वित किया जाए.
गांधी को लेकर भ्रांतियां पर समूह चर्चा की रिपोर्ट :

विरोध:
·      भारत विभाजन का जिम्मेदार.
·      मुसलमानों के प्रति अधिक उदार होना.
·      दलित विरोधी थे.
·      पुणे एक्ट के सम्बन्ध में.
·      नेहरु के प्रति मोह और पटेल के प्रति द्वेष.
·      गैर वैज्ञानिक विचारधारा.
·      गांधीजी के ब्रह्मचर्य पर सवाल.
·      पूंजीपतियों के पक्षधर.
·      भगत सिंह को नहीं बचाया

जवाब :
·      ब्रिटिश सरकार हिन्दू मुस्लिम एकता को तोड़ना चाहती थी.
भारत के विभाजन में हिन्दू संगठन एवं मुस्लिम लीग या संगठन की अहम् भूमिका थी. गांधी ने जाति व धार्मिक संघर्षों को रोकने में भूमिका अदा की.
·      उदारता दुर्गुण नहीं, बल्कि सदगुण है. मुसलामानों के प्रति ही उदार नहीं वरन सभी दलित एवं पिछड़ों के प्रति सद्भाव होना चाहिए.
·      गांधी ने वर्ण व्यवस्था को समाप्त करने हेतु विशेष कार्य किया.
·      सवाल करने वालों से सवाल किया जाए उन्होंने समाज व देश के लिए क्या किया? आलोचना करना बहुत आसान है.


शोध में गांधी समूह चर्चा की रिपोर्ट :

सिनेमा में गांधी का अभिग्रहण
गांधी पर फिल्म/डाक्यूमेंट्री बने
शोध उपकरण के रूप में सिनेमा का प्रयोग किया जाए.
Gandhi in popular culture.
संकेत के रूप में गांधी
गांधी वांगमय की भूमिका का संकलन/संपादन
गांधी की आलोचनाओं की समीक्षा.
गांधी के समकालीन लोगों के कृतित्व को सामने लाना.
गांधी-लोहिया : प्रो. मनोज कुमार
गांधी-भगत सिंह : डॉ. अमित राय
गांधी अंबेडकर : डॉ. अमित विश्वास  
पूना पैक्ट : शैलेश
जे.पी. : सुरेश शर्मा
टैगोर : अमरेन्द्र कु. शर्मा
नेहरु : शम्भू जोशी
मीरा : सुप्रिया
सुभाष : चित्रा

कस्तूरबा की समकालीन महिलाओं का इतिहास लेखन
सुशीला नैय्यर : सुप्रिया

·      युवाओं के लिए प्रेरक प्रसंग
·      2 क्रेडिट का पाठ्यक्रम ugc द्वारा गांधी पर सुनिश्चित किया जाए
·      देश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का सम्मलेन
4
विश्वविद्यालय काशी,गुजरात –एक कार्यक्रम –एक बैठक- GSDS
·      गांधी वादी संस्थाओं पर शोध का कार्य हो.
·      MGCU गांधी कार्यक्रम प्रारम्भ करे.
·        गांधी को नाटक में, साहित्य में , डाक्यूमेंट्री आदि के साथ अनिवार्य रूप से लाना चाहिए
·      culture of peace व सत्याग्रह 2018-2019 को घोषित किया जाए
·      गांधी के शैक्षणिक प्रयोगों पर शोध हो.
·      हिंसा व प्रतिरोध के बदलते स्वरूप में गांधी
·      गांधी दर्शन में पुनर्चर्चा व उन्मुखीकरण
·      विदेशों में गांधी कार्य हेतु धनराशि एवं सहयोग
·      विदेशों में गांधी कार्य


कलानन्द मणि ने सूचित किया कि पूना में किसानों का संगठन बना है जिसकी पहुँच सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचा रहा है.
बसंत भाई ने नयी दिल्ली में 1व 2 मई को प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति से बापू की 150 वीं जयंती होने जा रही वार्ता का ज़िक्र किया. 


No comments:

Post a Comment