Saturday, February 14, 2015

आओ जाने भित्ति पत्रिका

-नरेन्द्र कुमार दिवाकर
भित्ति पत्रिका विद्यार्थियों की रचनात्मक (आंतरिक भावनाओं की) अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है। इसके माध्यम से उनमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वे अपने मन की बात को रचनात्मक तरीके से अभिव्यक्त कर पाते हैं। इसका एक महत्वपूर्ण उद्देश्य उनके गुणों का विकास करना है। इसके अंतर्गत आलेख, तात्कालिक घटनाएँ, प्रेरणा दायक कहानियां, कविताएं, महत्वपूर्ण सूक्ति वाक्य और महत्वपूर्ण तिथियों आदि का वर्णन किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों व अध्यापकों में लिखने की प्रवृत्ति पैदा करना और तात्कालिक मुद्दों की तरफ ध्यानाकर्षण करना है।
भित्ति पत्रिका की शुरुआत प्रसिद्ध अंग्रेजी उपन्यासकार चार्ल्स डिकेन्स (1812-1870) से मानी जाती है। उन्होंने 1833 में कई पीरिएडिकल्स में लघु कहानियां और निबंध लिखना शुरू किया। 1836 में उन्होंने “Pickwick Papers” प्रकाशित किया और Bentley's Miscellany नामक मैगज़ीन के संपादक हो गए। इस तरह से उपन्यासकार की कलम से निकलकर शिक्षा संस्थानों में भित्ति पत्रिका अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बनी है। आइए इस भित्ति पत्रिका के कुछ उद्देश्यों पर चर्चा करते हैं।
उद्देश्य-
1-     लेखन के माध्यम से अभव्यक्ति का अवसर प्रदान करना
2-     साहित्यिक रुचि और पढ़ने की आदतों का विकास करना
3-     अपने फुर्सत के क्षणों का उपयोग करने का प्रशिक्षण प्रदान करना
4-     लोगों को विभाग/केंद्र/विश्वविद्यालयों की गतिविधियों और उपलब्धियों से अवगत कराना
5-     विद्यार्थियों के ज्ञानवृद्धि में सहायता करना
6-     विद्यार्थियों में रचनात्मकता की पहचान एवं पोषण करना
लोगों को आलेख, कविताएं और ज्ञान वर्धन करने वाले विचार तथा स्वविचार लिखने के लिए कहा जाता है। विद्यार्थी स्केचेज़, कार्टून्स, डिजाइन या पेंटिग्स भी बना सकते हैं। पहले इन सामग्रियों की स्क्रीनिंग की जाती है और फिर छंटनी करने के बाद चुनी गयी सामग्रियों को भित्ति पत्रिका में छापा/लिखा जाता है। चुनी गयी सामग्रियों को अंतर्वस्तु के आधार पर लघु कहानी, निबंध, कविताएं,कार्टून्स, पेंटिंग्स और स्केचेज़ के अतिरिक्त महत्वपूर्ण तथ्यों, अच्छे विचार, कॉमेडी स्किट, जोक्स और पाठ्यक्रम सहगामी सूचनाएं आदि श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है। इसके कवर पेज को आकर्षक बनाने के साथ अच्छा सा शीर्षक (नाम) भी दिया जा सकता है। कभी-कभी केंद्र/विभाग/विश्वविद्यालय के नाम पर भी इसका शीर्षक रखा जा सकता है। न केवल इतना ही अपितु इसके हर अंक को अलग-अलग थीम के अनुसार भी वर्गीकृत किया जा सकता है। हाँ इसके लिए यह आवश्यक हो जाता है कि आगामी कुछ अंकों के थीम्स की सूचना अग्रिम दी जानी चाहिए जिससे विद्यार्थी संबंधित थीम्स हेतु अपनी रचनाएं समय पर तैयार कर संपादक के पास भेज सकें।
          प्रायः इसके संपादक विद्यार्थी ही होते हैं, इसका प्रमुख कारण यह है कि विद्यार्थियों स्क्रीनिंग एवं संपादन के गुण विकसित करना है। यह ज्ञान विद्यार्थियों के लिए भविष्य में आलेख तैयार करना, गुणवत्ता की जांच करना तथा इच्छुक विद्यार्थियों को पत्रिकाओं के संपादन के योग्य बनाता है।
भित्ति पत्रिका की मुख्य विशेषताएँ होती हैं-
1-      संपादक द्वारा गुण के आधार पर सामग्री का चयन
2-      आध्यापकों/शिक्षकों का मार्गदर्शन एवं दिशा-निर्देशन
3-      भाषा शैली, लिखावट आदि का चयन संपादक मंडल द्वारा किया जाना
भित्ति पत्रिका, ऐसे स्थान पर होनी चाहिए जहाँ इसे आसानी से देखा जा सके। इसे एक सॉफ्ट बोर्ड पर भी बनाया जा सकता है जिससे दीवाल की सुंदरता भी बरकरार रहेगी और इसे चिपकाने और निकालने में लगने वाले समय की बचत भी होगी। इसमें केंद्र/विभाग/विश्विद्यालय की गतिविधियों से संबंधित विभिन्न समाचार पत्र में छपी ख़बरों की कतरनों को भी निर्धारित स्थान पर आकर्षक तरीके से चिपकाया जा सकता है।
          भित्ति पत्रिका आकर्षक लगे इसके लिए यथासंभव सुंदर हस्तलेखन का प्रयोग किया जाना चाहिए। भित्ति पत्रिका विशेष रूप से शैक्षणिक संस्थानों में समय-समय पर निकाली जाने वाली पत्रिका होती है जहाँ संस्थान के विद्यार्थी और दूसरे सदस्य अपने आलेख, कविताएं , चित्रकारी आदि एक-दूसरे से साझा कर सकें, जो नोटिस बोर्ड या सूचना पट्टिका पर निकाली/चलाई जाती है। इसके जरिये किसी निश्चित बिन्दु/विषय पर नियमित रूप से पोस्ट कर खुले तौर बहस की जाती है।

नरेन्द्र कुमार दिवाकर
पी-एच॰ डी॰ शोधार्थी  
महात्मा गांधी फ्यूजी गुरुजी शांति अध्ययन केंद्र,
म॰ गाँ॰ अं॰ हिं॰ विश्वविद्यालय, वर्धा
nkdiwakar0703@gmail.com

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